मैं पिछले तीन महीने से डिप्रेशन के मरीजों पर काम कर रहा हूँ। उनका एक ऐसा लंबा सफर होता है, जो उन्हें इतना तोड़ देता है कि वे सोचते हैं कि यह कैसे हो गया, ऐसा तो हो ही नहीं सकता था। इंसान बदल गया... ये सब चीजें होती हैं। कभी-कभी यह धीरे-धीरे भी इंसान को तोड़ता है।
अब जब ऐसा हो गया है इन लोगों के साथ, तो क्या मैं ये समझूँ कि ये लोग अब किसी पर भरोसा नहीं कर सकते? मैंने जब कई लोगों से पूछा, तो उन्होंने बताया कि नहीं कर सकते।
प्रभु, मैं आप से यह पूछ सकता हूँ क्या कि आपने इन लोगों को इतना कष्ट क्यों दिया है? वैसे तो मैं ये ज्योतिष में समझता हूँ कि ऐसा ही क्यों... ये लोग ही क्यों?
ये सब होने के बाद इनके अंदर का जो प्रेम भाव है, वह अब कैसे आएगा? ऐसा भी देखा है मैंने कि ये लोग कहते हैं कि अब हम पैसे कमाएंगे, अपने आप पर काम भी करेंगे और ये सब सुनने में भी अच्छा लगता है लेकिन प्रभु तब क्या जब इन्हें पास्ट एक्सपीरियंस दस साल बाद याद आएंगे, वो तो सही नहीं हो सकते ना?
ये अपने आप पर काम करने वाली बात अगर मैं सही बताऊँ तो मुझे बकवास लगती है। वो जिन्दगी में बचपना ही क्या जो वो लोग खो बैठे हैं।
मैंने पूछा कि अगर यही भाव मैं आपके अंदर लाऊँ तो फिर कैसे ला सकते हैं। उन्होंने कहा मुश्किल है और अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहते चाहे वो कितना भी अच्छा इंसान क्यों न हो। तब भी कुछ और डिप्रेशन वाले पेशेंट्स से पूछा, तो बोला कि टाइम लगेगा अगर कोई उन्हें इतना टाइम दे, लेकिन आजकल के जमाने में इतना टाइम और किसके पास है?
वैसे तो अगर किसी चीज में इंसान को लगा दो तो वही एक माध्यम बन जाता है उसे सही करने का, परंतु मैं तो बस उस भाव को लाना चाहता हूँ इसे लोगों में, वो नई जवानी वो उत्साह वो प्रेम। अगर प्रभु तोड़ा सा भी अंश डाल दे इन लोगों में तो अपना तो ये लोग भगवान से कम नहीं होने, टूटे हुए दिलों को संभालेंगे।
मैं यह समझता हूँ कि जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं, कठिन परिस्थितियाँ भी बनी रहती हैं, अच्छा समय यादों की तरह होता है, कई बार हम सब कुछ चीजों से बंधे रहते हैं और कई बार हमें पीछे हटना पड़ता है, कुछ लोग कर गुजर भी बैठते हैं। पर चाहे जिंदगी कैसी भी क्यों न हो, इंसान को अपना अस्तित्व नहीं बदलना चाहिए। अगर कोई नाराज है तो उसे प्रेम करो, अगर कोई बात नहीं करना चाहता है तो उसे अधिक प्रेम करो, ऐसी व्यक्तित्व चाहिए और कोई बुरा करे तो उसे समझाओ, अगर नहीं तो उचित उपाय लो परंतु, अपनी मौलिकता को मारना गलत है। छोटी सी जिंदगी के सफर में अगर यह एक बढ़िया कहानी बने और जिस कहानी से औरों की यादें बनाई जाएं तो इससे बड़ा पुण्य और कुछ नहीं हो सकता।
Created by Prajwal Phulauriya